जिन दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाती उनके लिए कई प्रकार के इलाज संभव है इनमें से एक है आई.यू.आई. (IUI)।
इस इलाज की प्रमुख खूबी यह है कि बहुत ही सरल और सस्ता इलाज है। परंतु हर चीज के दो पहलू होते हैं ऐसे ही आई.यू.आई प्रक्रिया है। जहां यह सरल और सस्ता इलाज है वहीं इसका दूसरा पहलू है कि यह हर तरह के निसंतान दंपतियों के लिए उचित नहीं है।
केवल चुनींदा दंपति ही इसका उपयोग करें तो लाभान्वित हो सकते हैं। अच्छी तरह मरीज़ का चयन करने के बाद पूरी प्रक्रिया को साइंटिफिक तरीके से करने के बाद भी सफलता दर केवल 10-18% ही है।
इस प्रक्रिया में पुरुष के वीर्य को लेबोरेटरी में इस तरीके से तैयार किया जाता है कि सारे स्वस्थ और गतिशील शुक्राणु अलग हो जाते हैं और बाकी की अशुद्धियां अलग हो जाती हैं। यह लेबोरेटरी में तैयार किया हुआ वीर्य आई.यू.आई केथीटर के द्वारा जब महिला का अंडा फूटने वाला होता है तब बच्चेदानी में छोड़ दिया जाता है। शुक्राणुओं को सीधा गर्भ में छोड़ने की प्रक्रिया को ही आई. यू. आई. कहा जाता है।
महिला के अंडे बनने का या तो कुदरती रूप से तैयार होने का इंतजार करते हैं या जिन महिलाओं में अंडे स्वतः तैयार नहीं होते हैं उन महिलाओं को दवाइयां या इंजेक्शन लगाकर अंडे तैयार किए जाते हैं। उसके बाद सोनोग्राफी की जाती है और अगर उसमें पाया जाता है कि अंडा पक चुका है तो अंडा बाहर निकलने का इंजेक्शन लगाया जाता है। आई.यू.आई. का समय इस पर निर्भर करता है कि अंडा कब तैयार हो रहा है।
4.जिन महिलाओं में अंडे बनने मैं परेशानी पाई जाती है जैसे कि पी.सी.ओ.डी. बीमारी या महिला को हार्मोन की दिक्कत है।
यह एक बहुत ही सरल और साधारण सी प्रक्रिया है जिसे कराने के बाद आप तुरंत ही अपनी दिनचर्या पर लौट सकते हैं। इस प्रक्रिया के बाद किसी भी तरह का कार्य करने में या खाने पीने में कोई परहेज नहीं होता है।
आई.यू.आई. प्रक्रिया के 15 दिन बाद आप स्वयं पेशाब से जांच सकते हैं कि गर्भ ठहरा है कि नहीं। और बाकी आपका चिकित्सक आपको इस बारे में सही सलाह दे सकता है कि कौन सी जांच करवानी चाहिए।